Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
चाहे मिले सौ सौ ग़म
फिर भी तुझसे ही हम संभले
तेरे ही घर के रस्तों पर
अब मेरा दम निकले
खुद को मेरे यारा तुझपे लूटा दिया
मंज़िल को अपनी तेरा रस्ता बना लिया
बन जाउँ दवा तेरे सारे ग़म की
ख्वाब यही रहे
तेरे ही घर के रस्तों पर
अब मेरा दम निकले
वाजिब है इश्क़ में तेरे
ऐसा जुनून मिले
जब भी तुझको देखूँ
फिर ही सुकून मिले
ना दूर तू मुझसे हो जाये
हर धड़कन ये कहे
तेरे ही घर के रस्तों पर
अब मेरा दम निकले
जाउँ जहां भी तेरी ही बाहों
में हर पल निकले