Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
तेरी चाहत है या शोहबत
कुछ समझ ना आ रहा
ये मन बावरा हुए ही जा रहा
ये मन बावरा हुए ही जा रहा
ये मन बावरा हुए ही जा रहा
सजने लगी हु संवारने लगी हूँ
बिना बात यूँ ही हँसने लगी हूँ
नही होश मुझको ना फिकर कोई
मिल जाये तेरा ज़िक्र कोई
जाने क्यों आहें भरने लगी हूँ
मुझपे अब तेरा नशा है छा रहा
ये मन बावरा हुए ही जा रहा
ये मन बावरा हुए ही जा रहा
बावरा हुए ही जा रहा
ये मन बावरा हुए ही जा रहा