Genre | Shikara |
Language | Hindi |
जमुना किनारे ताज हो
मेरी बाहों में हो तू
जमुना किनारे ताज हो
मेरी बाहों में हो तू
तेरी आरजूओं में
कभी एक ताज की थी आरज़ू
आ आ
तू ना बोले मैं ना बोलूं
फिर भी हो वो गुफ़्तगू
तू ना बोले मैं ना बोलूं
फिर भी हो वो गुफ़्तगू
जो सिर्फ़ अंदाज़ की
एहसास की मोहताज है
नज़र नीची कर के
तू पूछे ख़ामोशी से मेरी
सामने तू हो मेरे कोई ख़्वाब है
या ताज है
आँखों में हो हैरानियाँ
लब पे ठहरी ठहरी बात हो
आँखों में हो हैरानियाँ
लब पे ठहरी ठहरी बात हो
वो बात जिस से मेरी
ये ज़िंदगी आबाद है
तेरा अक्स ही है
जो फैला हुआ है ताज पे
रोशनी तुमसे ही है
ये जो चाँद है
क्या चाँद है
तेरी आरजूओं में
कभी एक ताज की थी आरज़ू
तेरी आरजूओं में
कभी एक ताज की थी आरज़ू