Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
चार दीवारी ये तेरे बीना क़ैद सा लागे
बारिश की छींटे तेज़ाब सा क्यूँ जलावे
का करूँ सजनी आये ना बालम
का करूँ सजनी आये ना बालम
दरवाज़े पे दस्तक हुयी
सच में कहीं तू तो नहीं
बाहों में तू मर के मुझे
होठों से छू कर तो देख
तू सच या भरम जान लो
सारे मौसम पतझड़ जैसे क्यूँ लागे
मेरे सिरहाने तू बैठा है ऐसा क्यूँ लागे
का करूँ सजनी आये ना बालम
का करूँ सजनी आये ना बालम
रोवत रोवत हाय कल नहीं आये
तड़प तड़प मोहे राम कल नही आये
निस दिन मोहे विरहा सताये
याद आवत जब उनकी बतिया हाय