Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
आवारा पंछी
मैं उड़ता फिरता
सुखी जमीं पे बारिश सा गिरता
कोई होश ना था मुझे
मैंने सीने लगा के रखा
तावीज़ बनना के तुझे
मैंने सीने लगा के रखा
तावीज़ बनना के तुझे
दर्द था, सर्द था
सीने में रहता था मैं
हर्फ़ था, लफ़्ज़ था
इश्क का लम्हा था मैं
ना जाने आँखों को
थी क्या तलाश
ना जाने होंठों
थी किसकी प्यास
कोई होश ना था मुझे
मैंने सीने लगा के रखा
तावीज़ बनना के तुझे
मैंने सीने लगा के रखा
तावीज़ बनना के तुझे
ये जमीं
आसमा देखा सारा जहाँ
ढूढता फिर रहा
छुप गए तुम कहाँ
ना जाने तुझको फिजा
कहाँ ले उड़ी
मेरी हर सांस को
तुझसे जुडी
कोई होश ना था मुझे
मैंने सीने लगा के रखा
तावीज़ बनना के तुझे
मैंने सीने लगा के रखा
तावीज़ बनना के तुझे