Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
रात के साए तले
साँस-साँस हैं जले हो..
ओढ़के जिस्मों की चादरें
बाहों में खोए रहे
आँखों को आँखों से
पीक सोए रहे
जो भी दरमियाँ कर दे बायाँ
ज़िंदगी का क्या भरोसा
कब हो ये धुआँ
रात के साए तले
साँस-साँस हैं जले हो..
रोकते लम्हों के क़ाफ़िले
सुबह को होने न दे
बहके-बहके पल हैं जो
मिले सोने ना दे
आजा जाने जान थम जाए समां
बात का क्या भरोसा कब बदले समां
रात के साए तले
साँस-साँस हैं जले हो..
थाम लो लबों की नर्मियाँ
फिर यह पल मिले ना मिले