Genre | Ghazal |
Language | Hindi |
मुझे किसी से प्यार नहीं है
आँखें मगर सवाली हैं
कुछ दिन से लगता है जैसे
कुछ दिन से लगता है जैसे
शामें खाली-खाली हैं
मुझे किसी से प्यार नहीं है
आँखें मगर सवाली हैं
गीनके बता सकता हूँ कितने
पत्थर पाओं में चुभते हैं
गीनके बता सकता हूँ कितने
पत्थर पाओं में चुभते हैं
उसके सहर की सारी गालियाँ
उसके सहर की सारी गालियाँ
मेरे देखी भाली हैं
मुझे किसी से प्यार नहीं है
आँखें मगर सवाली हैं
अशकों का शैलाब बदन की
दीवारें भी तोड़ गया
अशकों का शैलाब बदन की
दीवारें भी तोड़ गया
बड़े जतन से तेरी यादें
बड़े जतन से तेरी यादें
मैंने आज सम्भाली हैं
मुझे किसी से प्यार नहीं है
आँखें मगर सवाली हैं
कुछ दिन से लगता है जैसे
शामें खाली-खाली हैं