Singer | Vishal Dadlani |
Genre | Pushpa |
Language | Hindi |
Album | Pushpa: The Rise (2021) |
बकरे को शेर दबोचे
बकरे को शेर दबोचे
भुख से कोई ना बचे
भुख से कोई ना बचे
मौत का शेर पे काबू
समय का मौत पे काबु
काली समय को रचे
महा भुख फिर मचे
भागे शिकार जिधर
पीछे दौड़े शिकारी उधर
जीता शिकार जी लेगा इक दिन
हारा शिकारी तो जीना नामुमकिन
एक जान की भूल मिटाने को
एक जान की मौत जरूरी है
हेय जागो जागो बकरे
शेर आया तो कर देगा टुकडे हुई
चेरा है मछली का चारा
दाना है मुर्गी का चारा
हड्डी है कुत्तों का चारा
जीवन है ये इंसानों का चारा
काली की पूजा जो करे
जानवर जो बली चढ़े
लहू से खंजर शुद्ध करे
देवी करे भी तो क्या करे
ये है दुनिया क्या करे
रहना तू होशियार नहीं तो
खायेगा चारा तुझको
जीना है तो भुख बढ़ा के
खा ले तू खुद चारे को हां
भुख ना देखे भला बुरा
नीति ना धरम
होगा उसका राज यहां पे
जिस्में हैं रे दम
हेय जागो जागो बकरे
शेर आया तो कर दूंगा टुकडे हुई
मांगे से मिला है किसको किसको
मांगो तो कहेगा खिसको खिसको
उठा उठा के पटको पटको
जो चाहे वो मिलेगा तुझको
लात जो काम करेगा
भाई भी ना कर पायेगा
मुक्का जो पाठ पढ़ाये
बुद्ध तकता रह जाए रे