Genre | Bhuvan Bam |
Language | Hindi |
चल भूल जाएँ
फ़ासले दरमियाँ
किसने बनाया
दस्तूर ऐसा
जीना सिखाया
मजबूर जैसा
दिल रो रहा है
दिल है परेशान
हीर और रांझा
के इश्क़ जैसा
कहते है जो पन्ने
होते नहीं पूरे
करते बहुत कुछ बयां
मिल जाऊँगा फिर उन किताबों में
हो जहाँ ज़िकर तेरा
तू.. तू..
मैं और तू..
तू.. तू..
मैं और तू..
किसने बनाया
दस्तूर ऐसा
जीना सिखाया
मजबूर जैसा
आँखें मेरी सपना तेरा
सपने सुबह शाम हैं
तू है सही या मैं हूँ सही
किसपे ये इल्ज़ाम है
आँखें मेरी सपना तेरा
सपने सुबह शाम हैं
तू है सही या मैं हूँ सही
किसपे ये इल्ज़ाम है
ऐसी लगन बांधे हुए
हूँ मैं खड़ा अब वहाँ
जिस छोर पे
था छूटा मेरा
हाथों से तेरे हाथ
जिसने हँसाया जिसने रुलाया
जीना सिखाया मजबूर जैसा
जाना है जा
है किसने रोका
हीर और रांझा
के इश्क़ जैसा
तू.. तू..
मैं और तू..
तू.. तू..
मैं और तू..