Genre | Hindi Lyrics |
Language | Hindi |
ऐ दिल मेरे क्यों तू खफा है
जो होने को था वो हो चुका है
ये तेरे सच की इन्तेहां है
ऐ दिल मेरे तू सुनले जरा
तकदीर में जो न लिखा
उसको तू है क्यों ढूंढ रहा
ज़ख्म जो दिल को है लगे
मरहम भी तो है सामने
खुद से जुदा क्यों है
साया भी तो तू है
मंज़िल का क़दमों तले
ऐसी राह चले
ऐ दिल मेरे उसको भुला दे
जो तेरे आँखों में अश्क बहाये
वक़्त की तरह जलते रहे हम
लम्हों से खुशियाँ बुन ले ज़रा
ऐ दिल मेरे क्यों तू खफा है
जो होने को था वो हो चुका है
ये तेरे सच की इन्तेहां है
ऐ दिल मेरे तू सुनले जरा
आवाज़ बांके वो कहीं
मुझमें है गूंजे आज भी
ख़्वाबों को कैसे सम्भालूं
बिखरे हैं उसमे ही कहीं
दिल को सुकून ना मिले
उसके ही यादों में जिये
बारिश की तरह वो गिरे
मुझमें क्यों आके ठहरे
ऐ दिल मेरे इक इल्तेजा हैं
धड़कन तेरी ना बेवजह है
सांसों को अपने सीने में भर के
राहों को अपनी ढूंढ ले ज़रा
ऐ दिल मेरे क्यों तू खफा है
जो होने को था वो हो चुका है
ये तेरे सच की इन्तेहां है
ऐ दिल मेरे क्यों तू रोये